सत्ता में खौफ का नाम: प्रशांत किशोर

- Reporter 12
- 28 Sep, 2025
मोहम्मद आलम
मंत्रियों की नींद हराम, बढ़ी धड़कनें – हर सुबह सवाल, आज किसका खुलासा करेंगे PK?”
बिहार की राजनीति में फिलहाल सिर्फ़ एक ही नाम गूंज रहा है—प्रशांत किशोर (PK)। सत्ता पक्ष के बड़े-बड़े मंत्रियों और नेताओं में उनका खौफ इस कदर घर कर गया है कि कुर्सियों पर बैठे चेहरे बेचेहरा दिखने लगे हैं। किसी का चैन छिन गया है, तो किसी की रगों में बेचैनी दौड़ रही है।तीन साल के लंबे जनसंपर्क अभियान में जितनी चर्चा PK को नहीं मिली थी, उससे कहीं ज़्यादा लोकप्रियता उन्होंने हाल के दिनों में सत्ता पक्ष पर किए गए एक के बाद एक हमलों से हासिल कर ली है।कभी अशोक चौधरी पर करारा वार कभी सम्राट चौधरी को कटघरे में कभी मंगल पांडेय पर सीधे आरोप कभी संजय जयसवाल तो कभी दिलीप जायसवाल पर PK ने सत्ता के उन चेहरों को निशाने पर लिया है जो खुद को अछूत समझते थे।सत्ता पक्ष के मंत्रियों की हालत यह है कि अब हर रात बेचैनी में गुजर रही है। नींद गायब है, धड़कनें तेज़ हैं और हर दिमाग में सिर्फ़ यही डर है“कल किसका नंबर है?”PK की आवाज़ अब केवल आलोचना नहीं, बल्कि जनता के गुस्से की हुंकार बन चुकी है। यही वजह है कि बिहार की गली-गली, चौक-चौराहे और चाय की दुकानों तक एक ही चर्चा है—“PK ने फिर किसे घेरा?आज हालात यह हैं कि जिन मंत्रियों और नेताओं ने जनता की आवाज़ को दबाकर मलाईखोरी की राजनीति की, वही अब PK की आवाज़ सुनकर थरथरा रहे हैं।साफ है—बिहार की राजनीति का नैरेटिव अब बदल रहा है, और इस बदलाव का चेहरा बन चुके हैं प्रशांत किशोर।
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